नया वर्ष हो मंगल मंगल गीत सुनाएँ|
भूल विगत को नए सृजन की राह दिखाएँ|
विह्स उठे मुरझाये चेहरे|
भरे जख्म जो खाए गहरे|
बहुत हो गया खून खराबा|
बहुत हो गया काशी काबा|
घृणा बैर से दूर प्रेम का रस बरसाएं|
भूल विगत को नए सृजन की राह दिखाएँ|
पुनः चले विकास की आँधी|
फिर से आये गौतम गांधी|
इश मोहम्मद साथ-साथ मिल,
नैय्या खेवें बनकर माझी|
नई डगर पथरीली राहें फिर भी कदम बढ़ाएं|
भूल विगत को नए सृजन की राह दिखाएँ|
जनसंख्या विस्फोट न होवे|
अणुबम की अब चोट न होवे|
भूख प्यास से मरे न कोई|
आतंकी से डरे न कोई|
संसद अछरधाम खून से अब न नहाए|
भूल विगत को नए सृजन की राह दिखाएँ|
महलों को यह बात बताएं|
झोपड़ियों को गये लगायें|
रात अँधेरी दिया जये पर
सुख समृद्धि फैले घर-घर|
दो हजार चौदह में चार बीन पर तान सुनाएँ|
भूल विगत को नए सृजन की राह दिखाएँ|