Friday 9 August 2013

जब ज़मी पर चाँदनी.....

जब ज़मी पर चाँदनी उतरी थी पहली बार|
रात रानी की कली जब महकी पहली बार||



उससे पहले से चाहता हूँ तुझे|
दिल के मंदिर में पूजता हूँ तुझे|
बाद में सारी कायनात बनी|
बिगड़-बिगड़ के सारी बात बनी|
सूर्य की लाली जगत में चटकी पहली बार||
रात रानी की कली………..

तब कोई संसार में मंजनु न था|
तब कोई संसार में लैला न थी|
इस जहाँ में न कोई फ़रहाद था|
इस जहाँ में तब कोई शीरी न थी|
जब नियन्ता सृजन की सोची पहली बार|
रात रानी की कली………..

जब से चिड़ियों ने चहकना सीखा|
जब से चँदा ने चमकना सीखा|
जब से बिजली ने कड़कना सीखा|
जब से बादल ने बरसना सीखा|
जब हवाएँ इस धारा पे बहकी पहली बार|
रात रानी की कली………..
रचना:-राजीव मतवाला
प्रकाशित पुस्तक:-स्वप्न के गाँव से


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