Friday 9 August 2013

गुलबदन महजबीं ऐ नाजनीं……

गुलबदन महजबीं ऐ नाजनीं
आओ सो जाओ सीने पर……



नशीली लहरों में डूबा है मन
चाँदनी में नहाया हुआ तन
सिंधु में मन मुसाफिर है भटका,
बह रहा जोर से है पवन
चंद्र ग्रहण लगा जीने पर
आओ सो जाओ सीने पर……

ख्वाबों में बीती रीति हो तुम
मौन हो निमंत्रण देती हो तुम
प्यास उस पार भी प्यास इस पार भी,
आह भरकर क्यों जीती हो तुम
गौर कर इस नगीने पर,
आओ सो जाओ सीने पर……

आँख है ये नही है मधुशाला
तिरछी नजरों से है जादू डाला
रेल जीवन ही न छूट जाए,
बन के झूलों मेरे उर पे माला
है नशा आँख से पीने पर
आओ सो जाओ सीने पर……
रचनाकार -राजीव मतवाला
प्रकाशित काव्य पुस्तक स्वप्न के गाँव सेसंकलित


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